पतली गली से बाहर, वापस तुम्हारे ही आंगन में। पतली गली से बाहर, वापस तुम्हारे ही आंगन में।
साहस साहस
रोम-रोम में, फूँक दो, शंख-नाद समर में जाने का रोम-रोम में, फूँक दो, शंख-नाद समर में जाने का
करो न तुम कुछ भी अधम समाज की सोच - विचार। करो न तुम कुछ भी अधम समाज की सोच - विचार।
मानवता का मसीहा वक्त की ख़ास खासियत पहचान मानवता का मसीहा वक्त की ख़ास खासियत पहचान
मन को व्यर्थ ही कष्ट दिया आँखों में आलस्य की धुंध है छाई। मन को व्यर्थ ही कष्ट दिया आँखों में आलस्य की धुंध है छाई।